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"कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलो / फ़राज़" के अवतरणों में अंतर
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|रचनाकार=अहमद फ़राज़ | |रचनाकार=अहमद फ़राज़ | ||
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17:33, 11 नवम्बर 2009 का अवतरण
कठिन है राहगुज़र थोड़ी दूर साथ चलो
बहुत बड़ा है सफ़र थोड़ी दूर साथ चालो
तमाम उम्र कहाँ कोई साथ देता है
मैं जानता हूँ मगर थोड़ी दूर साथ चलो
नशे में चूर हूँ मैं भी तुम्हें भी होश नहीं
बड़ा मज़ा हो अगर थोड़ी दूर साथ चलो
ये एक शब की मुलाक़ात भी ग़निमत है
किसे है कल की ख़बर थोड़ी दूर साथ चलो
अभी तो जाग रहे हैं चिराग़ राहों के
अभी है दूर सहर थोड़ी दूर साथ चलो
तवाफ़-ए-मन्ज़िल-ए-जानाँ हमें भी करना है
"फ़राज़" तुम भी अगर थोड़ी दूर साथ चलो