भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पुनर्नवा / मोहन सगोरिया" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मोहन सगोरिया |संग्रह=जैसे अभी-अभी / मोहन सगोरिया…) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) छो ("पुनर्नवा / मोहन सगोरिया" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite))) |
(कोई अंतर नहीं)
|
02:30, 12 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
मैं महाप्रलय के बाद भी
जीवित रहना चाहूंगा
महासृजन के लिए
मैं फिर से जीना चाहूंगा
आदम का जीवन
और हव्वा का हाथ थामे-थामे
नाप लेना चाहूंगा ब्रह्माण्ड
बिताना चाहूंगा
शताब्दियों पर शताब्दियाँ
मैं उस फल की तलाश में भटकूंगा
जिसकी वज़ह से सिरजा संसार
शताब्दियों से शताब्दियों तक
और जन्मान्तरों से जन्मान्तरों तक।