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"महुए का मधुपर्व / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर
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07:23, 12 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
महुए नें कूचे लिए
इन कूचे से मोतियों जैसे फूल
रात में झरे और सवेरा हो जाने पर भी झरते रहे।
सवेरा होने पर चँगेरी में चुनने के लिए
लड़्कियाँ आईं, रात में जानवर इन फूलों को
खाते रहे, मन भर जाने पर मनचाही जगह गए।
महुए में फल आए, फल कच्चे भी उपयोग में
रहे, पकने पर फूलों के समान ही, फलों के भी
पशुओं, चिड़ियों और आदमियों नें अपने अपने
अंश ग्रहण किए।
फलों के भीतर ही महुए का बीज भी मिलता
है। इन बीजों से तेल निकाला जाता है, जो
विविध कामों में आदमी को व्यस्त रखता
है।