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नेतागीरी अफ़सरशाही / कैलाश गौतम
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08:59, 10 दिसम्बर 2006
सहयोगी जहां सिपाही है।
जो कपास की खेती करता उसके पास लंगोटी है
किसकी लापरवाही है।
पैरों की जूती है जनता, जनता की परवाह नहीं
जनता भी क्या करे बिचारी, उसके आगे राह नहीं
बिटिया है अनब्याही है।
जैसी होती है तैय्यारी वैसी ही तैय्यारी है
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पूर्णिमा वर्मन