भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"जब मैं गया उसके तो उसे घर में न पाया / सौदा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सौदा }} <poem> जब मैं गया उसके तो उसे घर में न पाया आया …)
 
(कोई अंतर नहीं)

20:53, 13 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

जब मैं गया उसके तो उसे घर में न पाया
आया वो अगर मेरे तो दरख़ुर न रहा मैं
कैफ़ियते-चश्म उसकी मुझे याद है ’सौदा’
साग़र को मिरे हाथ से लीजो कि चला मैं