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कोनैन तक मिले थी जिस दिल की मुझको क़ीमत
क़िस्मत कि यक निगह पर जा उसको डाल आया
बख़्शिश पे दो जहाँ की आई थी हिम्मत-ए-दहर
लेकिन न याँ ज़बाँ तक हर्फ़-ए-सवाल आया
नाज़ाँ न हो तू इस पर गर तुझको संग में से
गौहर निकालने का कस्ब-ओ-कमाल आया