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"दीन चहैं करतार जिन्हें सुख / रहीम" के अवतरणों में अंतर

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10:56, 15 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

दीन चहैं करतार जिन्हें सुख, सो तौ ’रहीम’ टरै नहिं टारे।
उद्यम पौरुष कीने बिना, धन आवत आपुहिं हाथ पसारे॥
दैव हँसै अपनी अपनी, बिधि के परपंच न जात बिचारे।
बेटा भयो बसुदेव के धाम औ दुंदुभि बाजत नंद के द्वारे॥