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"चीड़ के मगरूर पेड़ / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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21:56, 17 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण


चीड़ के मग़रूर<ref>घमण्डी
</ref> पेड़
जिनकी आँखें
अपनी क़ामत<ref>देह</ref> के नशे में सिर्फ़ ऊपर देखती हैं
अपनी गर्दन के तनाव को कभी तो कम करें
और नीचे देखें
वो घने बादल जो उनके पाँव को छूकर गुज़र जाते हैं
जिनको चूम सकते हैं
वो पौधे
प्यार के इस वालिहाना<ref>प्रेमपूर्वक</ref> लम्स<ref>स्पर्श्</ref> से कैसे निखर आए

शब्दार्थ
<references/>