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"और मैं / जया जादवानी" के अवतरणों में अंतर

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तुमने कहा था तुम आओगे
और मैं ऋतु पूरी गुज़ार आई
शाखें हुईं नंगी पाले मारे मौसम में
कर्ज था आत्मा पर, देह उतार आई।