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"और मैं / जया जादवानी" के अवतरणों में अंतर

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और मैं ऋतु पूरी गुज़ार आई
 
और मैं ऋतु पूरी गुज़ार आई
 
शाखें हुईं नंगी पाले मारे मौसम में
 
शाखें हुईं नंगी पाले मारे मौसम में
कर्ज था आत्मा पर, देह उतार आई।
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कर्ज़ था आत्मा पर, देह उतार आई।
 
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02:59, 19 नवम्बर 2009 का अवतरण

तुमने कहा था तुम आओगे
और मैं ऋतु पूरी गुज़ार आई
शाखें हुईं नंगी पाले मारे मौसम में
कर्ज़ था आत्मा पर, देह उतार आई।