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"आँखों में थकन, धनक बदन पर / परवीन शाकिर" के अवतरणों में अंतर

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आँखों में थकन धनक बदन पर
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दस्तक है हवा-ए-शब के तन पर
 
दस्तक है हवा-ए-शब के तन पर
खुलता है नया दरीचा फ़न पर
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रंगों की ज़मील बारिशों में
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रंगों की जमील बारिशों में
उतरी है बहार फूलबन पर
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उतरी है बहार फूल-बन पर
  
 
थामे हुए हाथ रोशनी का
 
थामे हुए हाथ रोशनी का
 
रख आई क़दम ज़मीं गगन पर
 
रख आई क़दम ज़मीं गगन पर
  
शबनम के लबों पे नाचती है
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छाया  है अजब नशा किरण पर
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छाया  है अजब नशा किरनपर
  
खुलती नहीं बर्ग-ओ-गुल की आँखें
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जादू कोई कर गया चमन पर
 
जादू कोई कर गया चमन पर
  
ख़ामोशी कलाम कर रही  है
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20:53, 19 नवम्बर 2009 का अवतरण

आँखों में थकन धनक<ref>इन्द्र धनुष
</ref> बदन पर
जैसे शब-ए-अव्वली<ref>प्रथम रात्रि</ref> दुल्हन पर

दस्तक है हवा-ए-शब के तन पर
खुलता है नया दरीचा फ़न<ref>कला</ref> पर

रंगों की जमील बारिशों में
उतरी है बहार फूल-बन पर

थामे हुए हाथ रोशनी का
रख आई क़दम ज़मीं गगन पर

शबनम<ref>ओस</ref> के लबों पे नाचती है
छाया है अजब नशा किरनपर

खुलती नहीं बर्ग-ओ-गुल<ref>पत्तों और फूलों की</ref> की आँखें
जादू कोई कर गया चमन पर

ख़ामोशी<ref>चुप्पी</ref> कलाम<ref>चुप्पी</ref> कर रही है
जज़्बात<ref>भावनाओं</ref> की मुहर है सुख़न<ref>काव्य, कल्पना
</ref> पर
 

शब्दार्थ
<references/>