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"गीत-अगीत / रामधारी सिंह "दिनकर"" के अवतरणों में अंतर

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गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
 
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
 
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::गाकर गीत विरह की तटिनी
 
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::वेगवती बहती जाती है,
(1)
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::दिल हलका कर लेने को
 
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::उपलों से कुछ कहती जाती है।
गाकर गीत विरह की तटिनी
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::तट पर एक गुलाब सोचता,
 
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::"देते स्‍वर यदि मुझे विधाता,
वेगवती बहती जाती है,
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::अपने पतझर के सपनों का
 
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::मैं भी जग को गीत सुनाता।"
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उपलों से कुछ कहती जाती है।
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::::गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
 
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::बैठा शुक उस घनी डाल पर
तट पर एक गुलाब सोचता,
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::जो खोंते पर छाया देती।
 
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::पंख फुला नीचे खोंते में
"देते स्‍वर यदि मुझे विधाता,
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::शुकी बैठ अंडे है सेती।
 
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::गाता शुक जब किरण वसंती
अपने पतझर के सपनों का
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::छूती अंग पर्ण से छनकर।
 
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::किंतु, शुकी के गीत उमड़कर
मैं भी जग को गीत सुनाता।"
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::::गूँज रहा शुक का स्‍वर वन में,
 
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::::फूला मग्‍न शुकी का पर है।
गा-गाकर बह रही निर्झरी,
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::::गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
 
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::दो प्रेमी हैं यहाँ, एक जब
पाटल मूक खड़ा तट पर है।
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गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
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::चोरी-चोरी खड़ी नीम की
 
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(2)
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जो खोंते पर छाया देती।
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पंख फुला नीचे खोंते में
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शुकी बैठ अंडे है सेती।
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गाता शुक जब किरण वसंती
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छूती अंग पर्ण से छनकर।
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किंतु, शुकी के गीत उमड़कर
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रह जाते स्‍नेह में सनकर।
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गूँज रहा शुक का स्‍वर वन में,
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पहला स्‍वर उसकी राधा को
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घर से यहाँ खींच लाता है।
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चोरी-चोरी खड़ी नीम की
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छाया में छिपकर में सुनती है,
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बिधना', यों मन में गुनती है।
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वह गाता, पर किसी वेग से
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फूल रहा इसका अंतर है।
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गीत, अगीत, कौन सुन्‍दर है?
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23:08, 21 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
गाकर गीत विरह की तटिनी
वेगवती बहती जाती है,
दिल हलका कर लेने को
उपलों से कुछ कहती जाती है।
तट पर एक गुलाब सोचता,
"देते स्‍वर यदि मुझे विधाता,
अपने पतझर के सपनों का
मैं भी जग को गीत सुनाता।"
गा-गाकर बह रही निर्झरी,
पाटल मूक खड़ा तट पर है।
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
बैठा शुक उस घनी डाल पर
जो खोंते पर छाया देती।
पंख फुला नीचे खोंते में
शुकी बैठ अंडे है सेती।
गाता शुक जब किरण वसंती
छूती अंग पर्ण से छनकर।
किंतु, शुकी के गीत उमड़कर
रह जाते स्‍नेह में सनकर।
गूँज रहा शुक का स्‍वर वन में,
फूला मग्‍न शुकी का पर है।
गीत, अगीत, कौन सुंदर है?
दो प्रेमी हैं यहाँ, एक जब
बड़े साँझ आल्‍हा गाता है,
पहला स्‍वर उसकी राधा को
घर से यहाँ खींच लाता है।
चोरी-चोरी खड़ी नीम की
छाया में छिपकर सुनती है,
'हुई न क्‍यों मैं कड़ी गीत की
बिधना', यों मन में गुनती है।
वह गाता, पर किसी वेग से
फूल रहा इसका अंतर है।
गीत, अगीत, कौन सुन्‍दर है?