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::खप्परों से चाहे हो पटी धरा ।
आशा के स्वर का भार,
पवन को लिकिनलेकिन, लेना ही होगा,
जीवित सपनों के लिए मार्ग
मुर्दों को देना ही होगा।
::हम रोकर भरते उसे,
::हमारी आँखों में गंगाजल है।
शूली पर चढा चढ़ा मसीहा को
वे फूल नहीं समाते हैं
हम शव को जीवित करने को
::मन में गोधूलि बसाता चल।
यह देख नयी लीला उनकी,
फिर उन ने उनने बड़ा कमाल किया,
गाँधी के लोहू से सारे,
भारत-सागर को लाल किया।
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