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ऐ चारागरो!<ref>वैद्यो,चिकित्सको </ref> दर्द बढ़ा क्यूँ नहीं देते
मुंसिफ़<ref>न्यायाधीश न्यायाधीश </ref> हो अगर तुम तो कब इन्साफ़ करोगे
मुजरिम<ref>अपराधी </ref> हैं अगर हम तो सज़ा क्यूँ नहीं देते