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"निशाँ क़दमों के / जया जादवानी" के अवतरणों में अंतर
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लगा तो दिया था निशान नियति ने | लगा तो दिया था निशान नियति ने | ||
उस द्वार पर कि भूलूँ न | उस द्वार पर कि भूलूँ न | ||
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देख रही हूँ हैरान हो | देख रही हूँ हैरान हो | ||
निशाँ अपने क़दमों के | निशाँ अपने क़दमों के | ||
ऊपर से...। | ऊपर से...। | ||
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21:14, 23 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
ये जो टेढ़े-मेढ़े दिखाई दे रहे
हवा के झोंके-से मनचाहे
न पथ सुनिश्चित
न डगर जानी-पहचानी
लगा भी नहीं
सोचा भी नहीं
कि कर क्या रहे तुमसे बिछड़कर
बिखर गए धुएँ से जाने कहाँ
लगा तो दिया था निशान नियति ने
उस द्वार पर कि भूलूँ न
फिर भी हुआ क्या आवारगी बनी नसीब
देख रही हूँ हैरान हो
निशाँ अपने क़दमों के
ऊपर से...।