भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"न डिगा सकी उसे / जया जादवानी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= जया जादवानी |संग्रह=उठाता है कोई एक मुट्ठी ऐश्व…)
 
(कोई अंतर नहीं)

21:31, 23 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

सिर्फ़ एक क्षण ठिठक कर
देखा होगा चिड़िया ने
अनन्त आकश में उड़ने से पहले
वृक्ष को
उत्तेजना सम्भालने की आख़िरी कोशिश में
ज़मीन पर रेंग रहे कीड़े को
अपने पंजोंसे
खुरचते गीली मिट्टी
जड़ों के पास
सिर्फ़ एक क्षण
पत्ते की पुकार
पंखॊं को छूकर
आख़िरी साँस भरती हुई
सिर्फ़ एक क्षण
घोंसले को काँपते देखा होगा
एक-एक तिनका बिखरते
न डिगा सकी उसे
काली आँधियों की आहट
न पुकार, न शाख़ टूटी हुई
और उठी वह
हर क्षण को अनदेखा करते हुए।