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नत्थू ख़ैरे ने गांधी का कर अंत दिया
क्या कहा, सिंह को शिशु मेढक ने लिल लिया!
धिक्कार काल, भगवान विष्णु के वाहन को
सहसा लपेटने
में समर्थ हो
गया लबा!
पड़ गया सूर्य क्या ठंडा हिम के पाले से,
क्या बैठ गया गिरि मेरु तूल के गाले से!
प्रभु पाहि देश, प्रभु त्राहि जाति, सुर के तन को
अपने मुँह में
लघु नरक कीट ने
लिया दबा!
यह जितना ही मर्मांतक उतना ही सच्चा,
शांतं पापं, जो बिना दाँत का बच्चा,
करुणा ममता-सी मूर्तिमान मा को कच्चा
देखते देखते
सब दुनिया के
गया चबा!