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"खिला गुलमुहर / ऋषभ देव शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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खिला गुलमुहर जब कभी द्वार मेरे,
 
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याद तेरी अचानक मुझे आ गई .
 
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चीर कर दुपहरी छांह ऐसे घिरी,
 
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चूनरी ज्यों तुम्हारी लहर छा गई..
 
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20:19, 24 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

खिला गुलमुहर जब कभी द्वार मेरे,
याद तेरी अचानक मुझे आ गई .
किसी वृक्ष पर जो दिखा नाम तेरा,
ज़िंदगी ने कहा ज़िंदगी पा गई ..
आईने ने कभी आँख मारी अगर,
आँख छवि में तुम्हारी ही भरमा गई.
चीर कर दुपहरी छांह ऐसे घिरी,
चूनरी ज्यों तुम्हारी लहर छा गई..