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"दृश्ययुग-2 / केदारनाथ सिंह" के अवतरणों में अंतर

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जो बाद में पता चला एक चेहरा था
 
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जो न जाने कब
 
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देखने के जल में
 
चुपचाप घुल गया
 
चुपचाप घुल गया
 
और बचा रहा देखना
 
और बचा रहा देखना

02:01, 26 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

उसे देखकर
कहना भूल गया
एक बात थी
जो तभी भूल गई थी
जब चला था घर से
और फिर कई दिनों तक याद रहा
वही एक भूलना
जो बाद में पता चला एक चेहरा था
जो न जाने कब
देखने के जल में
चुपचाप घुल गया
और बचा रहा देखना
जिसमें मिलना
छूना
सूँघना
चाहना
सब घुलते गए धीरे-धीरे।