भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"छोटे बडे / लाल्टू" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लाल्टू |संग्रह= }}<poem>तारे नहीं जानते ग्रहों में क…)
 
(कोई अंतर नहीं)

07:51, 26 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

तारे नहीं जानते ग्रहों में कितनी जटिल
जीवनधारा ।
आकाशगंगा को नहीं पता भगीरथ का
इतिहास वर्तमान ।
चल रहा बहुत कुछ हमारी कोषिकाओं में
हमें नहीं पता ।

अलग-अलग सूक्ष्म दिखता जो संसार
उसके टुकड़ों में भी है प्यार
उनका भी एक दूसरे पर असीमित
अधिकार

जो बड़े हैं
नहीं दिखता उन्हें छोटों का जटिल संसार

छोटे दिखनेवालों का भी होता बड़ा घरबार
छोटी नहीं भावनाएं, तकलीफें
छोटे नहीं होते सपने।

कविता,विज्ञान,सृजन,प्यार
कौन है क्या है वह अपरंपार
छोटे-बड़े हर जटिल का अहसास
सुंदर शिव सत्य ही बार बार।