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"पोखरन 1998 -3 / लाल्टू" के अवतरणों में अंतर

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12:13, 26 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

धरती पर क्या सुंदर है
क्या कविता सुंदर है
इतने लोग मरना चाहते हैं
क्या मौत सुंदर है

मृत्यु की सुंदरता को उन्होंने नहीं देखा
सेकंडों में विस्फोट और एक लाख डिग्री ताप
का सूरज उन्होंने नहीं देखा
उन्होंने नहीं देखा कि सुंदर मर रहा है
लगातार भूख गरीबी और अनबुझी चाहतों से
सुंदर बन रहा हिंदू मुसलमान
सत्यम् शिवम् नहीं मिथ्या घनीभूत

बार बार कोई कहता है
धरती जीने के लायक नहीं
धरती को झकझोरो, उसे चूर मचूर कर दो
कौन कह रहा कि
धरती पर कविता एक घिनौना खयाल है