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"जागृति / इन्साफ़ की डगर पे बच्चो दिखाओ चल के" के अवतरणों में अंतर

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इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के<br/>
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ये देश है तुम्हारा, नेता तुम ही हो कल के<br />
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|रचनाकार= शकील बादायूंनी
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इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
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ये देश है तुम्हारा, नेता तुम ही हो कल के
  
दुनियाँ के रंज सहना और कुछ ना मुँह से कहना<br />
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दुनियाँ के रंज सहना और कुछ ना मुँह से कहना
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना<br />
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सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
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रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के
  
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अपने हों या पराये, सब के लिए हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा, हरगि‍ज ना डगमगाए<br />
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देखो कदम तुम्हारा, हरगि‍ज ना डगमगाए
रस्ते बडे कठि‍न हैं, चलना संभल-संभल के<br />
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रस्ते बडे कठि‍न हैं, चलना संभल-संभल के
  
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इन्सानियत के सर पे, इज्जत का ताज रखना
तन मन की  देकर भेंट, भारत की लाज रखना<br />
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तन मन की  देकर भेंट, भारत की लाज रखना
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जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के
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17:50, 26 नवम्बर 2009 का अवतरण

इन्साफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के
ये देश है तुम्हारा, नेता तुम ही हो कल के

दुनियाँ के रंज सहना और कुछ ना मुँह से कहना
सच्चाईयों के बल पे, आगे को बढ़ते रहना
रख दोगे एक दिन तुम, संसार को बदल के

अपने हों या पराये, सब के लिए हो न्याय
देखो कदम तुम्हारा, हरगि‍ज ना डगमगाए
रस्ते बडे कठि‍न हैं, चलना संभल-संभल के

इन्सानियत के सर पे, इज्जत का ताज रखना
तन मन की देकर भेंट, भारत की लाज रखना
जीवन नया मिलेगा, अंतिम चिता में जल के