भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"हेमन्ती भोर / गिरधर गोपाल" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गिरधर गोपाल |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} <poem> हेमन्ती भोर एक जा…) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:58, 26 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
हेमन्ती भोर एक जादू की पुड़िया है।
सागर के फेन से बना हुआ बदन इस का,
जंगल की चकित-भ्रमित हरिणी का मन इस का
यह तो एक सोती-जागती हुई गुड़िया है।
कोहरे की झील बीच नाव-सा नगर डोले
दरपन-सा घर डोले काँच की डगर डोले,
धूल है कि छोड़ गई उर्वशी चुनरिया है।
ताल औ' तलैया हैं जल रहीं अँगीठी-सी
नदी है कि ठहर गई एक नज़र मीठी-सी
घाट-घाट साज रही रूप की नज़रिया है।
जादू की पुड़िया है-
हेमन्ती भोर एक जादू की पुड़िया है।