भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नासिर काज़मी
}}
[[Category:गज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>होती है तेरे नाम से वहशत<ref>चिन्ता </ref> कभी-कभीबरहम<ref>बैचेन </ref>हुई है यूँ भी तबीयत कभी-कभी
होती है तेरे नाम से वहशत कभी कभी<br>ऐ दिल किसे नसीब ये तौफ़ीक़-ए-इज़्तिराब बरहम हुई मिलती है यूँ भी तबीयत ज़िन्दगी में ये राहत कभी -कभी<br><br>
तेरे करम से दिल किसे नसीब ये तौफ़ीक़अलम-ए-इज़्तिराब<br>हुस्न-ए-आफ़रीन मिलती दिल बन गया है ज़िन्दगी में ये राहत दोस्त की ख़िल्वत कभी -कभी<br><br>
तेरे करम से ऐ अलमदिल को कहाँ नसीब ये तौफ़ीक़-ए-हुस्न-ए-आफ़रीन<br>इज़्तिराब दिल बन गया मिलती है दोस्त की ख़िल्वत ज़िन्दगी में ये राहत कभी -कभी<br><br>
दिल को कहाँ नसीब ये तौफ़ीक़जोश-ए-इज़्तिराबजुनूँ<brref>उन्माद </ref>मिलती है ज़िन्दगी में ये राहत कभी कभीदर्द की तुग़यानियों<brref>तूफ़ान <br/ref>के साथ अश्कों में ढल गई तेरी सूरत कभी-कभी
जोश-ए-जुनूँ में दर्द की तुग़यानियों तेरे क़रीब रह के साथभी दिल मुतमईन<brref>संतुष्ट </ref> न था अश्कों में ढल गई तेरी सूरत गुज़री है मुझ पे भी ये क़यामत कभी -कभी<br><br>
तेरे क़रीब रह के भी दिल मुतमईन कुछ अपना होश था तुम्हारा ख़याल था<br>गुज़री है मुझ पे यूँ भी ये क़यामत कभी कभीगुज़र गई शब-ए-फ़ुर्क़त<brref>जुदाई की रात <br/ref>कभी-कभी
कुछ अपना होश था न तुम्हारा ख़यल था<br>यूँ भी गुज़र गई शब-ए-फ़ुर्क़त कभी कभी<br><br> ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मुहब्बत <ref>प्रेम का परित्याग </ref>> के बावजूद<br>महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी -कभी<br><br/poem>{{KKMeaning}}