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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=सतीश बेदाग़|संग्रह=एक चुटकी चाँदनी / सतीश बेदाग़}}<poem>
देखकर तेरी हँसी,देखा है
जब सिमट आती है हाथों में मेरे तेरी हँसी
तब मेरे ज़हन में अल्लाह का नाम आता है
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