भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"अंदाज़ / रे मामा रे मामा रे" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: <poem> सुन् लो सुनाता हूँ तुमको काहानी रूठो ना हमसे ओ गुडियों कि रानी …) |
(कोई अंतर नहीं)
|
14:07, 1 दिसम्बर 2009 का अवतरण
सुन् लो सुनाता हूँ तुमको काहानी
रूठो ना हमसे ओ गुडियों कि रानी
रे मम्मा रे मम्मा रे
रे मम्मा रे मम्मा रे
हम् तो गये बाजार् मे लेने को आलु
आलु वालु कुछ् ना मिला पीछे पडा भालू,
रे मम्मा ...
हम् तो गये बाजार् मे लेने को लट्टू
लट्टू वट्टू कुछ् ना मिला पीछे पडा टट्टू,
रे मम्मा ...
हम् तो गये बाजार् मे लेने को रोटी
रोटी वोटी कुछ् ना मिलि पीछे पडि मोटी,
रे मम्मा ...