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[[Category:ग़ज़ल]]
<poem>
तुन्द मै मय और ऐसे कमसिन के लिये साक़िया हल्की -सी ला इन के लिये
मुझ से रुख़सत रुख़्सत हो मेरा अहद-ए-शबाब या ख़ुदा रखना ना उस दिन के लिये
है जवानी ख़ुदा ख़ुद जवानी का सिन्गार सिंगार
सादगी गहना है इस सिन के लिये
अब कोई हूर आयेगी इन के लिये
वस्ल का दिन और इतना मुख़तसर मुख़्तसर
दिन गिने जाते थे इस दिन के लिये
मैंने दुनिया छोड़ दी जिन के लिये
लाश पर इबरत ये कहती है 'आमीरअमीर'
आये थे दुनिया में इस दिन के लिये