भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बरखा रानी / कैलाश गौतम" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कैलाश गौतम |संग्रह=तीन चौथाई आन्हर / कैलाश गौतम }}…)
(कोई अंतर नहीं)

22:36, 1 दिसम्बर 2009 का अवतरण

चाल सुधारा चाल सुधारा
बरखा रानी चाल सुधारा

कब्बौ झूरा कब्बौ बाढ़
केसे केसे लेईं राढ़
खेतवन से बस दुआ बंदगी
खरिहनवन से भाई चारा॥

सोच समझ के पाठ पढ़ावा
पानी में जिन आग लगावा
कब तक रहबू आसमान पर
तू निचवों तनी निहारा॥

अब जिन बरा धूर में जेंवर<ref>धूल में रस्सी बटना</ref>
सब बूझत हौ ई खर-सेवर<ref>भोजन के समय में व्यतिक्रम</ref>
कवने करनी गया ब‍इठबू
पहिले कुल क पुरखा तारा॥

कब तक अपने मन क करबू
हमरे छाती कोदो दरबू
ताले ताले धूर उड़त हौ
कागज पर तू खना इनारा<ref>कुआँ</ref>॥

दिनवा रतिया रटै पपीहा
उल्लू भ‍इलै आज मसीहा
कौवा भंजा रहल है मोती
मुँह जोहत है हंस बेचारा॥

फगुन च‍इत में पानी पानी
सावन-भादों में बेइमानी
जेही क कुल छाजन-बाजन
वहिके पतरी खंडा बारा।

शब्दार्थ
<references/>