भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"वे पुण्यात्मा / कुमार सुरेश" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कुमार सुरेश }} {{KKCatKavita‎}} <poem> सब ठीक-ठाक चल रहा है या क…)
 
 
पंक्ति 16: पंक्ति 16:
 
कुल जमा यह कि वे रसूखदार  
 
कुल जमा यह कि वे रसूखदार  
  
वैष्णो देवी की यात्रा पर अभी गये थे  
+
वैष्णो देवी की यात्रा पर अभी गए थे  
 
अमरनाथ जाने का पक्का इरादा है  
 
अमरनाथ जाने का पक्का इरादा है  
 
सत्यनारायण की कथा कराते ही रहते है  
 
सत्यनारायण की कथा कराते ही रहते है  

01:21, 7 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

सब ठीक-ठाक चल रहा है
या कहें कि ठीक-ठाक से भी बेहतर

अभी कोई डायबिटीज नहीं है
गठिया से ग्रस्त लोग दयनीय हैं
गर्दन का दर्द भला होता क्या है?
बेटा बेटी स्वस्थ और कमाऊ
पत्नी वजनदार और होशियार
मकान दुकान सब चमकदार
कुल जमा यह कि वे रसूखदार

वैष्णो देवी की यात्रा पर अभी गए थे
अमरनाथ जाने का पक्का इरादा है
सत्यनारायण की कथा कराते ही रहते है

उन्हें पक्का विश्वास है
भगवान उन्हीं के साथ है
कभी कभी लगता है
भगवान उन्ही के लिये बना है

वे कामनाओं की लंबी फेहरिस्त हैं
ईश्वर उनका करामाती जिन्न
किसी से नाराज़ होने पर कहते हैं
"मेरा भगवान सब देखता है"

इसमें अपरोक्ष धमकी है
जैसी पुलिसवाले का रिश्तेदार दुश्मनों को
देता है

किसी की भूख उन्हें द्रवित नहीं करती
सर्दी में किसी को नंगा बदन देख कहते हैं
"बडे़ ही सख़्त जान होते हैं ये लोग"
(रोटी माँगती प्रजा से फ़्रांस की रानी ने कहा था
केक क्यों नहीं खाते ?)

उन्हे लगता है
कोई गरीबी नहीं है सब मक्कारी है
कोई भलाई नहीं है
सब उन्हे लूटने की तरकीबे हैं

रहते हैं वे बड़े भवन में
जिसके एक कोने में भगवान भी रहता है ।