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"कमरे में धूप / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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|संग्रह=माँ, बापू कब आएंगे / अनिल जनविजय  
 
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अंधेरा है
 
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बेचैनी है कमरे में
 
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क्या नहीं है
 
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क्या है कमरे में
 
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रात है धूप नहीं है
 
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निकलेगा सूरज
 
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कमरे में छिटकेगी धूप
 
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फूल से गले मिलेगी
 
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धूप को चूमेगा फूल
 
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ख़ुशी होगी
 
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गूँजेंगी किलकारियाँ
 
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हँसी होगी
 
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कमरे में
 
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22:04, 9 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

कमरे में एकान्त है
फूल है
उदासी है
अंधेरा है
बेचैनी है कमरे में
क्या नहीं है
क्या है कमरे में
रात है धूप नहीं है

सुबह होगी
निकलेगा सूरज
कमरे में छिटकेगी धूप
फूल से गले मिलेगी
धूप को चूमेगा फूल
शोर होगा
ख़ुशी होगी
गूँजेंगी किलकारियाँ
हँसी होगी
रोशनी होगी
कमरे में