भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"भय / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनिल जनविजय |संग्रह=माँ, बापू कब आएंगे }} जब सारी चिड़ि...) |
|||
| (एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
| पंक्ति 2: | पंक्ति 2: | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
|रचनाकार=अनिल जनविजय | |रचनाकार=अनिल जनविजय | ||
| − | |संग्रह=माँ, बापू कब आएंगे | + | |संग्रह=माँ, बापू कब आएंगे / अनिल जनविजय |
}} | }} | ||
| − | + | {{KKCatKavita}} | |
| + | <poem> | ||
जब | जब | ||
| − | |||
सारी चिड़ियाँ | सारी चिड़ियाँ | ||
| − | |||
गुम हो जाती हैं | गुम हो जाती हैं | ||
| − | |||
आकाश | आकाश | ||
| − | |||
काला पड़ जाता है | काला पड़ जाता है | ||
| + | मैं डर जाता हूँ | ||
| − | + | </poem> | |
22:23, 9 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
जब
सारी चिड़ियाँ
गुम हो जाती हैं
आकाश
काला पड़ जाता है
मैं डर जाता हूँ
