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"ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही / ख़ुमार बाराबंकवी" के अवतरणों में अंतर
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ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही | ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही | ||
− | जज़्बात में वो पहले सी शिद्दत नहीं रही | + | जज़्बात में वो पहले-सी शिद्दत नहीं रही |
सर में वो इंतज़ार का सौदा नहीं रहा | सर में वो इंतज़ार का सौदा नहीं रहा | ||
− | दिल पर वो धड़कनों की | + | दिल पर वो धड़कनों की हुक़ूमत नहीं रही |
− | पैहम | + | पैहम तवाफ़े-कूचा-ए-जानाँ के दिन गए |
पैरों में चलने-फिरने की ताक़त नहीं रही | पैरों में चलने-फिरने की ताक़त नहीं रही | ||
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आईना देखने की भी हिम्मत नहीं रही | आईना देखने की भी हिम्मत नहीं रही | ||
− | + | कमज़ोरी-ए-निगाह ने संजीदा कर दिया | |
जलवों से छेड़-छाड़ की आदत नहीं रही | जलवों से छेड़-छाड़ की आदत नहीं रही | ||
अल्लाह जाने मौत कहाँ मर गई 'ख़ुमार' | अल्लाह जाने मौत कहाँ मर गई 'ख़ुमार' | ||
− | अब | + | अब मुझको ज़िन्दगी की ज़रूरत नहीं रही |
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19:52, 12 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
ऐसा नहीं कि उन से मोहब्बत नहीं रही
जज़्बात में वो पहले-सी शिद्दत नहीं रही
सर में वो इंतज़ार का सौदा नहीं रहा
दिल पर वो धड़कनों की हुक़ूमत नहीं रही
पैहम तवाफ़े-कूचा-ए-जानाँ के दिन गए
पैरों में चलने-फिरने की ताक़त नहीं रही
चेहरे की झुर्रियों ने भयानक बना दिया
आईना देखने की भी हिम्मत नहीं रही
कमज़ोरी-ए-निगाह ने संजीदा कर दिया
जलवों से छेड़-छाड़ की आदत नहीं रही
अल्लाह जाने मौत कहाँ मर गई 'ख़ुमार'
अब मुझको ज़िन्दगी की ज़रूरत नहीं रही