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"नज़्म-इक दिन ऐसा भी आएगा / बेकल उत्साही" के अवतरणों में अंतर

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इक दिन ऐसा भी आएगा होंठ-होंठ पैमाने होंगे
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मंदिर-मस्जिद कुछ नहीं होंगे घर-घर में मयख़ाने होंगे
  
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जीवन के इतिहास में ऐसी एक किताब लिखी जाएगी
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जिसमें हक़ीक़त औरत होगी मर्द सभी अफ़्साने होंगे
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राजनीति व्यवसाय बनेगी संविधान एक नाविल होगा
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चोर उचक्के सब कुर्सी पर बैठ के मूँछें ताने होंगे
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एक ही मुंसिफ़ इंटरनैट पर दुनिया भर का न्याय करेगा
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बहस मोबाइल ख़ुद कर लेगा अधिवक्ता बेग़ाने होंगे
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ऐसी दवाएँ चल जाएँगी भूख प्यास सब ग़ायब होगी
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नये-नवेले बूढे़ होंगे,बच्चे सभी पुराने होंगे
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लोकतंन्त्र क तंत्र न पूछो प्रतियाशी कम्प्यूटर होंगे
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और हुकूमत की कुर्सी पर क़ाबिज़ चंद घराने होंगे
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गाँव-खेत में शहर दुकाँ में सभी मशीनें नौकर होंगी
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बिन मुर्ग़ी के अन्डे होंगे बिन फ़सलों के दाने होंगे
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छोटॆ-छोटॆ से कमरों में मानव सभी सिमट जाएँगे
 
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दीवारें ख़ुद फ़िल्में होंगी,दरवाज़े ख़ुद गाने होंगे
 
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बेकल इसको लिख लो तुम भी महिला-पुरुष में फ़र्क न होगा
 
बेकल इसको लिख लो तुम भी महिला-पुरुष में फ़र्क न होगा
 
रिश्ता-विश्ता कुछ नहीं होगा संबंधी अंजाने होंगे
 
रिश्ता-विश्ता कुछ नहीं होगा संबंधी अंजाने होंगे
 
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23:38, 13 दिसम्बर 2009 का अवतरण

इक दिन ऐसा भी आएगा होंठ-होंठ पैमाने होंगे मंदिर-मस्जिद कुछ नहीं होंगे घर-घर में मयख़ाने होंगे

जीवन के इतिहास में ऐसी एक किताब लिखी जाएगी जिसमें हक़ीक़त औरत होगी मर्द सभी अफ़्साने होंगे

राजनीति व्यवसाय बनेगी संविधान एक नाविल होगा चोर उचक्के सब कुर्सी पर बैठ के मूँछें ताने होंगे

एक ही मुंसिफ़ इंटरनैट पर दुनिया भर का न्याय करेगा बहस मोबाइल ख़ुद कर लेगा अधिवक्ता बेग़ाने होंगे

ऐसी दवाएँ चल जाएँगी भूख प्यास सब ग़ायब होगी नये-नवेले बूढे़ होंगे,बच्चे सभी पुराने होंगे

लोकतंन्त्र क तंत्र न पूछो प्रतियाशी कम्प्यूटर होंगे और हुकूमत की कुर्सी पर क़ाबिज़ चंद घराने होंगे

गाँव-खेत में शहर दुकाँ में सभी मशीनें नौकर होंगी बिन मुर्ग़ी के अन्डे होंगे बिन फ़सलों के दाने होंगे

छोटॆ-छोटॆ से कमरों में मानव सभी सिमट जाएँगे दीवारें ख़ुद फ़िल्में होंगी,दरवाज़े ख़ुद गाने होंगे

आँख झपकते ही हर इंसा नील-गगन से लौट आएगा इक-इक पल में सदियाँ होंगी,दिन में कई ज़माने होंगे

अफ़्सर सब मनमौजी होंगे,दफ़्तर में सन्नाटा होगा जाली डिग्री सब कुछ होगी कालेज महज़ बहाने होंगे

बिन पैसे के कुछ नहीं होगा नीचे से ऊपर तक यारो डालर ही क़िस्मत लिक्खेंगे रिश्वत के नज़राने होंगे

मैच किर्किट का जब भी होगा काम-काज सब ठप्प रहेंगे शेयर में घरबार बिकेंगे मलिकुल-मौत सरहाने होंगे

होटल-होटल जुआ चलेगा अविलाओं के चीर खिचेंगे फ़ोम-वोम के सिक्के होंगे डिबियों बीच ख़ज़ाने होंगे

शायर अपनी नज़्में लेकर मंचों पर आकर धमकेंगे सुनने वाले मदऊ होंगे संचालक बेमानी होंगे

बेकल इसको लिख लो तुम भी महिला-पुरुष में फ़र्क न होगा रिश्ता-विश्ता कुछ नहीं होगा संबंधी अंजाने होंगे