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"आदर-फूल और काँटे का / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर
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मँहमँहाती गंध
चौदिशि करौंदे की
लहर पर लहर
रचती हवा आई
गंध बतला रही है
आगे कहीं है
बन करौंदे का
बन करौंदे का
गंध सूचित कर रही है
सावधान
देखते हुए चलना
राह भी कंटकित होगी
और काँटे राह के
पद का रुधिर पी कर रहेंगे
कंटकों का यही आदर है
फूल का आदर तुम्हारी साँस पहले पा चुकी है।