भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"आदर-फूल और काँटे का / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोचन }}<poem>मँहमँहाती गंध चौदिशि करौंदे की लह…)
 
(कोई अंतर नहीं)

08:11, 15 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

मँहमँहाती गंध
चौदिशि करौंदे की
लहर पर लहर
रचती हवा आई

गंध बतला रही है
आगे कहीं है
बन करौंदे का

बन करौंदे का
गंध सूचित कर रही है
सावधान
देखते हुए चलना
राह भी कंटकित होगी

और काँटे राह के
पद का रुधिर पी कर रहेंगे
कंटकों का यही आदर है
फूल का आदर तुम्हारी साँस पहले पा चुकी है।