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"आबलापा कोई इस दश्त में आया होगा / मीना कुमारी" के अवतरणों में अंतर

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ज़र्रे ज़र्रे पे जड़े होंगे कुँवारे सज्दे,  
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एक एक बुत को ख़ुदा उस ने बनाया होगा|  
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मिल गया होगा अगर कोई सुनहरी पत्थर,  
 
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अपना टूटा हुआ दिल याद तो आया होगा|  
 
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ख़ून के छींटे कहीं पोछ न लें रेह्रों से,  
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ख़ून के छींटे कहीं पोंछ न लें रेह्रों से,  
 
किस ने वीराने को गुलज़ार बनाया होगा|
 
किस ने वीराने को गुलज़ार बनाया होगा|
 
 
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21:11, 16 दिसम्बर 2009 का अवतरण

आबलापा कोई इस दश्त में आया होगा|
वर्ना आँधी में दिया किस ने जलाया होगा|

ज़र्रे-ज़र्रे पे जड़े होंगे कुँवारे सजदे,
एक-एक बुत को ख़ुदा उस ने बनाया होगा|

प्यास जलते हुए काँटों की बुझाई होगी,
रिसते पानी को हथेली पे सजाया होगा|

मिल गया होगा अगर कोई सुनहरी पत्थर,
अपना टूटा हुआ दिल याद तो आया होगा|

ख़ून के छींटे कहीं पोंछ न लें रेह्रों से,
किस ने वीराने को गुलज़ार बनाया होगा|