भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"नववधू का प्यार / त्रिलोचन" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=त्रिलोचन }}<poem>नेह नवोढा नारि को बारि बालुका न्या…)
 
(कोई अंतर नहीं)

08:21, 17 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

नेह नवोढा नारि को बारि बालुका न्याय,
थतराए पै पाईए नीपीड़े न रसाय।
- मतिराम

नववधु का नेह पानी-बालू की नाई है
दोनों को थतराने दीजिए, थिराने दीजिए, तभी
रस आएगा, निष्पीड़न में रस नहीं मिलेगा।

15.10.2002