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सुख-दुख /नरेन्द्र शर्मा का नाम बदलकर सुख-दुख / नरेन्द्र शर्मा कर दिया गया है
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जब तक मन में दुर्बलता है
तेरा जी चाहे जो बन ले,
तू अपना करता-हरता है।</poem>