भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अन्धेरे के बाहर एक निगाह / शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो ("अन्धेरे के बाहर एक निगाह / शलभ श्रीराम सिंह" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
पंक्ति 24: पंक्ति 24:
 
रचनाकाल : 1995, विदिशा
 
रचनाकाल : 1995, विदिशा
  
'''शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि कुँअर रविन्द्र के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।'''
+
'''शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि [[कुँअर रवीन्द्र]] के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।'''
 
</poem>
 
</poem>

02:30, 18 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

अन्धेरे के बाहर एक निगाह है
देखती हुई अन्धेरे और एकान्त के सारे दृश्य

भावनाओं के खेल में पराजित एक स्त्री
एक पराजित पुरुष का वरण कर रही है वहाँ

वहाँ अतीत की कलंक-कथाओं को भूल कर
आश्रय दे रहा है एक मन दूसरे मन को

एक शरीर दूसरे शरीर के समीप पहुँच रहा है धीरे-धीरे
उभरता हुआ अन्धेरे के बाहर की उस निगाह में

एक नए दृश्य-बंध की ओर मुड़ रही है जो
जहाँ एक प्यारे और पुराने सम्बन्ध को
अलविदा कह रहा है कोई हमेशा-हमेशा के लिए
 

रचनाकाल : 1995, विदिशा

शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि कुँअर रवीन्द्र के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।