भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शायद / शलभ श्रीराम सिंह" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शलभ श्रीराम सिंह }} {{KKCatKavita‎}} <poem> ताज़ा-पकी रोटियों …)
 
 
पंक्ति 20: पंक्ति 20:
 
रचनाकाल : 1993, विदिशा
 
रचनाकाल : 1993, विदिशा
  
'''शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि कुँअर रविन्द्र के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।'''
+
'''शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि [[कुँअर रवीन्द्र]] के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।'''
</poem
+
</poem>

02:47, 18 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

ताज़ा-पकी रोटियों की महक
मेरे नथुनों के आस-पास मंडरा रही है
तुम्हें भूख लगी है शायद

ठंडे पानी का स्पर्श
मेरे गले को सींचता हुआ जान पड़ रहा है
तुम्हें प्यास लगी है शायद

बोझिल-बोझिल होती हुई
झपकने लगी हैं मेरी पलकें
तुम्हें नीद आ रही है शायद


रचनाकाल : 1993, विदिशा

शलभ श्रीराम सिंह की यह रचना उनकी निजी डायरी से कविता कोश को चित्रकार और हिन्दी के कवि कुँअर रवीन्द्र के सहयोग से प्राप्त हुई। शलभ जी मृत्यु से पहले अपनी डायरियाँ और रचनाएँ उन्हें सौंप गए थे।