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"कब? / जयशंकर प्रसाद" के अवतरणों में अंतर

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'''मुखपृष्ठ: [[झरना / जयशंकर प्रसाद]]'''
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शून्य हृदय में प्रेम-जलद-माला कब फिर घिर आवेगी?
 
शून्य हृदय में प्रेम-जलद-माला कब फिर घिर आवेगी?
 
 
वर्षा इन आँखों से होगी, कब हरियाली छावेगी?
 
वर्षा इन आँखों से होगी, कब हरियाली छावेगी?
  
 
रिक्त हो रही मधु से सौरभ सूख रहा है आतप हैं;
 
रिक्त हो रही मधु से सौरभ सूख रहा है आतप हैं;
 
 
सुमन कली खिलकर कब अपनी पंखुड़ियाँ बिखरावेगी?
 
सुमन कली खिलकर कब अपनी पंखुड़ियाँ बिखरावेगी?
  
 
लम्बी विश्व कथा में सुख की निद्रा-सी इन आँखों में-
 
लम्बी विश्व कथा में सुख की निद्रा-सी इन आँखों में-
 
 
सरस मधुर छवि शान्त तुम्हारी कब आकर बस जावेगी?
 
सरस मधुर छवि शान्त तुम्हारी कब आकर बस जावेगी?
  
 
मन-मयूर कब नाच उठेगा कादंबिनी छटा लखकर;
 
मन-मयूर कब नाच उठेगा कादंबिनी छटा लखकर;
 
 
शीतल आलिंगन करने को सुरभि लहरियाँ आवेगी?
 
शीतल आलिंगन करने को सुरभि लहरियाँ आवेगी?
  
 
बढ़ उमंग-सरिता आवेगी आर्द्र किये रूखी सिकता;
 
बढ़ उमंग-सरिता आवेगी आर्द्र किये रूखी सिकता;
 
 
सकल कामना स्रोत लीन हो पूर्ण विरति कब पावेगी?
 
सकल कामना स्रोत लीन हो पूर्ण विरति कब पावेगी?
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00:23, 20 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

शून्य हृदय में प्रेम-जलद-माला कब फिर घिर आवेगी?
वर्षा इन आँखों से होगी, कब हरियाली छावेगी?

रिक्त हो रही मधु से सौरभ सूख रहा है आतप हैं;
सुमन कली खिलकर कब अपनी पंखुड़ियाँ बिखरावेगी?

लम्बी विश्व कथा में सुख की निद्रा-सी इन आँखों में-
सरस मधुर छवि शान्त तुम्हारी कब आकर बस जावेगी?

मन-मयूर कब नाच उठेगा कादंबिनी छटा लखकर;
शीतल आलिंगन करने को सुरभि लहरियाँ आवेगी?

बढ़ उमंग-सरिता आवेगी आर्द्र किये रूखी सिकता;
सकल कामना स्रोत लीन हो पूर्ण विरति कब पावेगी?