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"फूट गये हीरा की बिकानी कनी हाट हाट / गँग" के अवतरणों में अंतर

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फूट गये हीरा की बिकानी कनी हाट हाट,
काहू घाट मोल काहू बाढ़ मोल को लयो ।
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::काहू घाट मोल काहू बाढ़ मोल को लयो।
टूट गई लँका फूट मिल्या जो विभीषन है ,
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टूट गई लँका फूट मिल्या जो विभीषन है,
रावन समेत बस आसमान को गयो ।
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::रावन समेत बस आसमान को गयो।
कहै कवि गँग दुरजोधन से छत्रधारी ,
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कहै कवि गँग दुरजोधन से छत्रधारी,
तनक मे फूँके तेँ गुमान बाको नै गयो ।
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::तनक मे फूँके तें गुमान बाको नै गयो।
फूटे ते नरद उठि जात बाजी चौसर की ,
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::फूटे ते नरद उठि जात बाजी चौसर की,
आपुस के फूटे कहु कौन को भलो भयो ।
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आपुस के फूटे कहु कौन को भलो भयो।
  
  
 
'''गँग का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।
 
'''गँग का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।
 
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14:27, 24 दिसम्बर 2009 का अवतरण

कविता कोश में कवित्त

फूट गये हीरा की बिकानी कनी हाट हाट,
काहू घाट मोल काहू बाढ़ मोल को लयो।
टूट गई लँका फूट मिल्या जो विभीषन है,
रावन समेत बस आसमान को गयो।
कहै कवि गँग दुरजोधन से छत्रधारी,
तनक मे फूँके तें गुमान बाको नै गयो।
फूटे ते नरद उठि जात बाजी चौसर की,
आपुस के फूटे कहु कौन को भलो भयो।


गँग का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।