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"एक अहसास / रंजना भाटिया" के अवतरणों में अंतर
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अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
छो (एक अहसास /रंजना भाटिया का नाम बदलकर एक अहसास / रंजना भाटिया कर दिया गया है) |
(कोई अंतर नहीं)
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20:40, 24 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
पेड़ों से जब पत्ते गिरते हैं तो,
उसको "पतझड़" कहते हैं,
और जब नये फूल खिलते हैं तो,
उसको "वसन्त" कहते हैं,
दूर मिलने का आभास लिए
जब धरती गगन मिलते हैं,
तो उसे "क्षितिज" कहते हैं
पर,
तेरा मेरा मिलना क्या है...?
इसे न तो "वसन्त",
न "पतझड़",
और न "क्षितिज" कहते हैं!
यह तो सिर्फ़
एक अहसास है,
अहसास,
कुछ नही, एक पगडंडी है,
तुमसे मुझ तक आती हुई,
मैं और तुम,
तुम और मैं,
जिसके आगे शून्य है सब...