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"माँ / रश्मि रेखा" के अवतरणों में अंतर
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जब दुनिया में आंखें खोली सुनी प्यार की मीठी बोली | जब दुनिया में आंखें खोली सुनी प्यार की मीठी बोली |
14:06, 26 दिसम्बर 2009 का अवतरण
जब दुनिया में आंखें खोली सुनी प्यार की मीठी बोली
पकड़ के उंगली चलना सीखा नहीं स्नेह की तेरे सीमा
हां वो तुम ही तो थी ओ मां!
जीवन के हर नए मोड़ पर रिश्तो के संग मुझे जोड़कर
जब तुमने मेरा साथ दिया था आंचल से मुझे ढांक लिया था
हां वो तुम ही तो थी ओे मां!
जब जब मैं जीवन से हारी सोचा छोडूं दुनिया सारी
तुमने मेरा सिर सहलाकर जीवन अमृत मुझे दिया था
हां वो तुम ही तो थी ओे मां!
दूर रहूं या पास हूँ तेरे; तेरी आशीषों के घेरे
सदा राह मेरी महकाते मानो चंदन के उपवन सा
हां वो तुम ही तो थी ओे मां!