भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"अपवाद / मोहन राणा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (अपवाद /मोहन राणा का नाम बदलकर अपवाद / मोहन राणा कर दिया गया है)
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदी / मोहन राणा
 
|संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदी / मोहन राणा
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
तुम अपवाद हो इसलिए
 
तुम अपवाद हो इसलिए
 
 
अपने आप से करता मेरा विवाद हो,
 
अपने आप से करता मेरा विवाद हो,
 
 
सोचता मैं कोई शब्द जो फुसलादे
 
सोचता मैं कोई शब्द जो फुसलादे
 
 
मेरे साथ चलती छाया को
 
मेरे साथ चलती छाया को
 
 
कुछ देर कि मैं छिप जाऊँ किसी मोड़ पे,
 
कुछ देर कि मैं छिप जाऊँ किसी मोड़ पे,
 
 
देखूँ होकर अदृश्य
 
देखूँ होकर अदृश्य
 
 
अपने ही जीवन के विवाद को
 
अपने ही जीवन के विवाद को
 
 
रिक्त स्थानों के संवाद में.
 
रिक्त स्थानों के संवाद में.
  
 
+
'''रचनाकाल: 26.11.2005
 
+
</poem>
 
+
26.11.2005
+

17:39, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

तुम अपवाद हो इसलिए
अपने आप से करता मेरा विवाद हो,
सोचता मैं कोई शब्द जो फुसलादे
मेरे साथ चलती छाया को
कुछ देर कि मैं छिप जाऊँ किसी मोड़ पे,
देखूँ होकर अदृश्य
अपने ही जीवन के विवाद को
रिक्त स्थानों के संवाद में.

रचनाकाल: 26.11.2005