भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"भूल-भुलैया / मोहन राणा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (भूल-भुलैया /मोहन राणा का नाम बदलकर भूल-भुलैया / मोहन राणा कर दिया गया है)
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदी / मोहन राणा
 
|संग्रह=पत्थर हो जाएगी नदी / मोहन राणा
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
अधजागा ही सोया गया मैं
 
अधजागा ही सोया गया मैं
 
 
फिर भी बंद न हुआ सोचना
 
फिर भी बंद न हुआ सोचना
 
 
झरती रही कतरनें मन में
 
झरती रही कतरनें मन में
 
 
तुम्हें याद करते
 
तुम्हें याद करते
 
 
कभी हँस देता
 
कभी हँस देता
 
 
कभी सोचता  
 
कभी सोचता  
 
 
कोई और संभावना
 
कोई और संभावना
 
  
 
उस रास्ते पर अब चौड़ी सड़क है
 
उस रास्ते पर अब चौड़ी सड़क है
 
 
चहल-पहल पर वह जगह नहीं
 
चहल-पहल पर वह जगह नहीं
 
 
जो वहाँ थी
 
जो वहाँ थी
 
 
बस स्मृति है !
 
बस स्मृति है !
 
 
हर गली से हम पहुँचते फिर उसी सड़क के कोने पर
 
हर गली से हम पहुँचते फिर उसी सड़क के कोने पर
 
 
अधजागा मैं बढ़ाता हाथ
 
अधजागा मैं बढ़ाता हाथ
 
 
छूटते सपने की ओर,
 
छूटते सपने की ओर,
 
 
कोई आता निकट
 
कोई आता निकट
 
 
दूर होता जाता भूल-भुलैया में
 
दूर होता जाता भूल-भुलैया में
 
 
फिर वहीं अपने संशय के साथ
 
फिर वहीं अपने संशय के साथ
  
 
+
'''रचनाकाल: 24.11.2003
24.11.2003
+
</poem>

17:57, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

अधजागा ही सोया गया मैं
फिर भी बंद न हुआ सोचना
झरती रही कतरनें मन में
तुम्हें याद करते
कभी हँस देता
कभी सोचता
कोई और संभावना

उस रास्ते पर अब चौड़ी सड़क है
चहल-पहल पर वह जगह नहीं
जो वहाँ थी
बस स्मृति है !
हर गली से हम पहुँचते फिर उसी सड़क के कोने पर
अधजागा मैं बढ़ाता हाथ
छूटते सपने की ओर,
कोई आता निकट
दूर होता जाता भूल-भुलैया में
फिर वहीं अपने संशय के साथ

रचनाकाल: 24.11.2003