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"कौन / पत्थर हो जाएगी नदी / मोहन राणा" के अवतरणों में अंतर

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बदलते हुए जीवन को देखते उसे जीते हुए
 
बदलते हुए जीवन को देखते उसे जीते हुए
 
 
मैं ठीक करता टूटी हुई चीज़ों को  
 
मैं ठीक करता टूटी हुई चीज़ों को  
 
 
उठा कर सीधा करता
 
उठा कर सीधा करता
 
 
गिरी हुई को
 
गिरी हुई को
 
 
कतरता पोंछता झाड़ता बुहारता,
 
कतरता पोंछता झाड़ता बुहारता,
 
 
जीते हुए बदलते जीवन को देखता
 
जीते हुए बदलते जीवन को देखता
 
 
छूटता गिरता टूटता गर्द होता,
 
छूटता गिरता टूटता गर्द होता,
 
 
और आते हुए लोग मेरे बीतते हुए दृश्य को
 
और आते हुए लोग मेरे बीतते हुए दृश्य को
 
 
कहते सामान्य
 
कहते सामान्य
 
 
सब कुछ नया साफ सुथरा
 
सब कुछ नया साफ सुथरा
 
 
जैसे मैं देखता उसे इस पल
 
जैसे मैं देखता उसे इस पल
 
 
और बदलता तभी
 
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छूटता मेरे हाथों से
 
छूटता मेरे हाथों से
 
 
जैसे वह कभी न था वहाँ,
 
जैसे वह कभी न था वहाँ,
 
 
कौन! रुक कर पूछता मैं
 
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अब तब नहीं जाना मैंने तुम्हें
 
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'''रचनाकाल: 11.9.2005
 
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11.9.2005
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18:00, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

बदलते हुए जीवन को देखते उसे जीते हुए
मैं ठीक करता टूटी हुई चीज़ों को
उठा कर सीधा करता
गिरी हुई को
कतरता पोंछता झाड़ता बुहारता,
जीते हुए बदलते जीवन को देखता
छूटता गिरता टूटता गर्द होता,
और आते हुए लोग मेरे बीतते हुए दृश्य को
कहते सामान्य
सब कुछ नया साफ सुथरा
जैसे मैं देखता उसे इस पल
और बदलता तभी
छूटता मेरे हाथों से
जैसे वह कभी न था वहाँ,
कौन! रुक कर पूछता मैं
अब तब नहीं जाना मैंने तुम्हें

रचनाकाल: 11.9.2005