भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"प्रेम / लीलाधर जगूड़ी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = लीलाधर जगूड़ी }} प्रेम ख़ुद एक भोग है जिसमें प्रेम करन...) |
छो (प्रेम /लीलाधर जगूड़ी का नाम बदलकर प्रेम / लीलाधर जगूड़ी कर दिया गया है) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:14, 26 दिसम्बर 2009 का अवतरण
प्रेम ख़ुद एक भोग है जिसमें प्रेम करने वाले को भोगता है प्रेम
प्रेम ख़ुद एक रोग है जिसमें प्रेम करने वाले रहते हैं बीमार
प्रेम जो सब बंधनों से मुक्त करे, मुश्किल है
प्रेमीजनों को चाहिये कि वे किसी एक ही के प्रेम में गिरफ़्तार न हों
प्रेमी आएं और सबके प्रेम में मुब्तिला हों
नदी में डूबे पत्थर की तरह
वे लहरें नहीं गिनते
चोटें गिनते हैं
और पहले से ज़्यादा चिकने, चमकीले और हल्के हो जाते हैं
प्रेम फ़ालतू का बोझ उतार देता है,
यहां तक कि त्वचा भी.