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"ख़ूब सज रहे / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर
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ख़ूब सज रहे आगे-आगे पंडे | ख़ूब सज रहे आगे-आगे पंडे | ||
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सरों पर लिए गैस के हंडे | सरों पर लिए गैस के हंडे | ||
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बड़े-बड़े रथ, बड़ी गाड़ियाँ, बड़े-बड़े हैं झंडे | बड़े-बड़े रथ, बड़ी गाड़ियाँ, बड़े-बड़े हैं झंडे | ||
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बाँहों में ताबीज़ें चमकीं, चमके काले गंडे | बाँहों में ताबीज़ें चमकीं, चमके काले गंडे | ||
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सौ-सौ ग्राम वज़न है, कछुओं ने डाले हैं अण्डे | सौ-सौ ग्राम वज़न है, कछुओं ने डाले हैं अण्डे | ||
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बढ़े आ रहे, चढ़े आ रहे, चिकमगलूरी पंडे | बढ़े आ रहे, चढ़े आ रहे, चिकमगलूरी पंडे | ||
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बुढ़िया पर कैसी फबती है दस हज़ार की सिल्कन साड़ी | बुढ़िया पर कैसी फबती है दस हज़ार की सिल्कन साड़ी | ||
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उफ़, इसकी बकवास सुनेंगे लाख-लाख बम्भोल अनाड़ी | उफ़, इसकी बकवास सुनेंगे लाख-लाख बम्भोल अनाड़ी | ||
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तिल-तिल कर आगे खिसकेगी प्रजातंत्र की खच्चर-गाड़ी | तिल-तिल कर आगे खिसकेगी प्रजातंत्र की खच्चर-गाड़ी | ||
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पूरब, पश्चिम, दक्खिन, उत्तर आसमान में उड़े कबाड़ी | पूरब, पश्चिम, दक्खिन, उत्तर आसमान में उड़े कबाड़ी | ||
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(रचनाकाल : 1978) | (रचनाकाल : 1978) | ||
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19:29, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
ख़ूब सज रहे आगे-आगे पंडे
सरों पर लिए गैस के हंडे
बड़े-बड़े रथ, बड़ी गाड़ियाँ, बड़े-बड़े हैं झंडे
बाँहों में ताबीज़ें चमकीं, चमके काले गंडे
सौ-सौ ग्राम वज़न है, कछुओं ने डाले हैं अण्डे
बढ़े आ रहे, चढ़े आ रहे, चिकमगलूरी पंडे
बुढ़िया पर कैसी फबती है दस हज़ार की सिल्कन साड़ी
उफ़, इसकी बकवास सुनेंगे लाख-लाख बम्भोल अनाड़ी
तिल-तिल कर आगे खिसकेगी प्रजातंत्र की खच्चर-गाड़ी
पूरब, पश्चिम, दक्खिन, उत्तर आसमान में उड़े कबाड़ी
(रचनाकाल : 1978)