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"जब तक बची दीप में बाती / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर

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00:05, 27 दिसम्बर 2009 का अवतरण

जब तक बची दीप में बाती
जब तक बाकी तेल है ।
तब तक जलते ही जाना है
साँसों का यह खेल है॥


हमने तो जीवन में सीखा
सदा अँधेरों से लड़ना ।
लड़ते-लड़ते गिरते–पड़ते
पथ में आगे ही बढ़ना ।।

अनगिन उपहारों से बढ़कर
बहुत बड़ा उपहार मिला ।
सोना चाँदी नहीं मिला पर
हमको सबका प्यार मिला ॥

यही प्यार की दौलत अपने
सुख-दुख में भी साथ रही ।
हमने भी भरपूर लुटाई
जितनी अपने हाथ रही ॥

ज़हर पिलाने वाले हमको
ज़हर पिलाकर चले गए ।
उनकी आँखो में खुशियाँ थीं
जिनसे हम थे छले गए ॥

हमने फिर भी अमृत बाँटा
हमसे जितना हो पाया ।
यही हमारी पूँजी जग में।
यही हमारा सरमाया

अनगिन पथिक कारवाँ के ,
देखो कैसे खिसक गए हैं
रहबर हमें यहाँ लाके ।