भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बिल्ली / एल्युआर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
छो (बिल्ली/ एल्युआर का नाम बदलकर बिल्ली / एल्युआर कर दिया गया है) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:33, 27 दिसम्बर 2009 का अवतरण
कि एक भी उंगली नीचे न रहे
बिल्ली बहुत मोटा जीव है
गरदन उसकी सिर से जुड़ी है
घूनती है उसी गोलाई में
और सहलाने का देती है जवाब
रात को आदमी को दीखती हैं उसकी आँखें
जिनकी पीलाई ही उनका वरदान है
इतनी मोटी हैं आँखें कि छिपती नहीं छिपाए
इतनी भारी कि सपने की हवा हो जाए ग़ायब
जब बिल्ली नाचती है
अपने शिकार को अलग रखती है
और जब सोचती है वह
आँख की दीवार तक पहुँचती है
मूल फ़्रांसिसी से अनुवाद : हेमन्त जोशी